प्रतापगढ़। भड़काऊ भाषण और राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत निरुद्ध होने के बाद देश की राजनीति में हाल ही में चर्चा में वरुण गांधी को लेकर मां कौन और कैसी हो पर बसपा प्रमुख मायावती और भाजपा की आंवला सीट से प्रत्याशी मेनका गांधी के बीच वाक युद्ध थमा भी नहीं है कि अपने बेटे की हत्या का बदला लेने चुनाव मैदान में आ गई एक और मां की भी जोरदार चर्चा है।
यह हैं बसपा के विधायक रहे राजू पाल की मां रानी पाल जो प्रतापगढ़ लोकसभा सीट से निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर अपना दल के उम्मीदवार अतीक अहमद के खिलाफ चुनाव मैदान में हैं। अतीक हैं राजू पाल की हत्या के आरोपी जो अभी तक इलाहाबाद के नैनी जेल में बंद थे और उन्हें रविवार रात लखनऊ जेल भेजा गया है। रानी पाल का मकसद चुनाव जीतना नहीं बल्कि अतीक के हार की जमीन तैयार करना है।
तपती दोपहर, 70 साल की आराम करने की उम्र, आंखों पर चश्मा फिर भी रानी पाल थकती नहीं और हाथ में झाड़ू तथा राजू पाल के कुछ दोस्तों के साथ घर-घर अपने लिए नहीं बल्कि अतीक को वोट नहीं देने की लोगों से गुजारिश कर रही हैं। सुबह होते ही वह राजू के दोस्तों के साथ घर से निकल लेती हैं और फिर किसी घर की कुंडी खटखटा देती हैं। उनकी अपील होती है बस अतीक को वोट मत दो क्योंकि यह मेरे बेटे का हत्यारा है।
रानी पाल कहती हैं मुझे भले ही वोट मत दो लेकिन मेरे बेटे के हत्यारे को भी जीतने मत दो। उनके गले में एक तख्ती भी लटकी रहती है जिसमें उनके बेटे राजू पाल की हत्या का पूरा ब्योरा लिखा है। जनता को सभी कुछ समझा नहीं सकतीं इसलिए गले में लटकी तख्ती आगे कर देती हैं कि लिखे को लोग पढ़े और समझ जाएं।
रानी पाल ने कहा कि यह एक मां के इंतकाम की आग है, जो तब तक नहीं बुझ सकती जब तक अतीक का सब कुछ खत्म नहीं हो जाए। उन्होंनें कहा, वह जब तक जीवित रहेंगी तब तक अतीक जहां से भी चुनाव लड़ेगा उसके सामने मैं होऊंगी।
उन्होंने कहा कि जिस तरह झाडू से घर और सड़क की गंदगी साफ की जाती है उसी तरह वह राज्य और देश को अपराधी से राजनीतिज्ञ बने लोगों से मुक्ति दिलाना चाहती है। यह झाडू सफाई का प्रतीक है और ऐसे लोगों पर मार का भी जो समाज में गंदगी फैला रहे हैं।
राजू पाल इलाहाबाद पश्चिम सीट से 2002 में अतीक अहमद से विधानसभा का चुनाव हार गए थे। अतीक ने समाजवदी पार्टी के टिकट पर लोकसभा का चुनाव लड़ने के लिए विधानसभा की सदस्यता से त्यागपत्र दे दिया और फूलपुर सीट से सपा के सांसद बन गए। अतीक के त्यागपत्र देने के बाद नवंबर 2004 में हुए उपचुनाव में राजू पाल ने अतीक के भाई अजिज अशरफ को हरा दिया। यह हार ही दोनों की दुश्मनी का कारण हो गया। बाहुबलि अतीक इस हार को बर्दाश्त नहीं कर सके और 26 जनवरी 2005 को राजू पाल की दिन दहाड़े हत्या कर दी गई। राजू अपने साथियों के साथ गणतंत्र दिवस पर होने वाले समारोह में हिस्सा लेने अपने पैतृक गांव जा रहे थे। राजू पाल की चार दिन पहले ही शादी हुई थी। उनकी पत्नी मात्र चार दिन ही सुहागन रह पाई।
राजू पाल की हत्या के बाद हुए उपचुनाव में बसपा ने उनकी पत्नी पूजा पाल को उम्मीदवार बनाया, लेकिन वह जीत नहीं सकीं। विधानसभा के लिए 2007 में हुए चुनाव में पूजा ने अतीक के भाई अजिज को हराया।
अतीक ने लोकसभा में पिछले 22 जुलाई को हुए शक्ति परीक्षण में पार्टी व्हिप का उल्लंघन करते हुए सरकार के खिलाफ मत दिया था इसलिए सपा ने उसकी सदस्यता खत्म कराने का आवेदन किया। फूलपुर के इस सांसद ने बसपा से भी लोकसभा टिकट लेने के लिए जोर लगाया लेकिन पार्टी ने अपने विधायक के हत्यारे को टिकट देने से मना कर दिया। हत्या के बाद से ही अतीक इलाहाबाद के नैनी जेल में बंद हैं और उनकी जमानत नहीं हुई है। रविवार रात उन्हें नैनी जेल से लखनऊ जेल लाया गया है। हत्या के मामले में अदालत का फैसला चाहे जो भी हो लेकिन एक मां अपने बेटे की हत्या का बदला लेने मतदाताओं के पास पहुंच गई है।
साभार: याहू, दैनिक जागरण
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3 comments:
मिश्रा जी , चुनावी जानकारी केलिए धन्यवाद । यहां रह कर पता ही नहीं चला कुछ । राजू पाल की हत्या के समय इलाहाबाद में थे तो राजनीतिक सारी उठा पटक को बरीकी से देखा । किस प्रकार से एक दूसरे के खून के प्यासे हो गये । जबकि राजू पाल अतीक के साथ ही मिलकर काम किया करते थे ।
rajniti to khel ban gaya hai
dekhein bhaavnaayein jeettee hain ya ki bahubal, dono hee sthitiyon mein jantaa kaa kuchh jyada bhala hone wala nahin hai.
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