इलाहाबाद। रोजी, रोटी और मकान अपनी हो पुख्ता पहचान। यही वह नारा था जो शहरी गरीबों के घोषणा पत्र पर अंकित था। शनिवार को शहरी गरीबों के इस नारे से सभागृह गूंज उठा। मौका था लोक सभा चुनाव पर शहरी गरीब संघर्ष मोर्चा द्वारा तैयार घोषणा पत्र का। घोषणा पत्र को प्रख्यात पत्रकार व चिंतक प्रभाष जोशी और मोर्चा की कार्यकर्ता तारा देवी ने जारी किया। कार्यक्रम का आयोजन शहरी गरीब संघर्ष मोर्चा, विज्ञान फाउण्डेशन, मुहिम एवं ह्यूमन राइटर्स ला नेटवर्क ने संयुक्त रूप से किया।
घोषणापत्र जारी करते हुए प्रभाष जोशी ने कहा कि हर गरीब की अपनी पुख्ता पहचान होनी चाहिए। इन मेहनतकश लोगों के बिना हमारे आधुनिक नगर की कल्पना संभव नहीं। उन्होंने कहा कि गरीबों को जब तक उनकी पहचान और नागरिकता के अधिकार नहीं मिल जाते तब तक चुनाव और लोकतंत्र की बातें अधूरी हैं। श्री जोशी ने बाल भारती कैरियर कोचिंग के हाल में हुए दूसरे सत्र में न्यू लिबरल वाशिंगटन कान्ससनेस की बात उठायी। उन्होंने कहा कि ब्रिटिश व अमेरिका के बीच संधि स्वरूप जो उदारीकरण की नीति विश्व में फैली उसके कई दुष्परिणाम देश को भुगतने पड़ रहे हैं। लेकिन इसका अहसास शासन व सत्ता पर बैठे लोगों को नहीं हो पा रहा है। आज की दुनिया में संघर्ष के नये सत्र विषयक संगोष्ठी में उन्होंने बताया कि उपनिवेशवाद अपने बदले स्वरूप में पैर पसार रहा है। पूंजी ही ब्रह्म और मुनाफा ही मोक्ष बन गया है। इसके प्रति सजग होने की जरूरत है। कार्यक्रम का आयोजन प्रगतिशील लेखक संघ व इतिहास बोधमंच, पाकिस्तान इन्डिया पीपुल्स फोरम फार पीस एण्ड डेमोक्रेसी की ओर से किया गया। संगोष्ठी की अध्यक्षता जियाउल हक ने की।
सुबह और शाम के सत्र में उपस्थित लोगों में डा.मानस मुकुल दास, रविकिरण जैन, प्रो. आरसी त्रिपाठी, प्रो. लाल बहादुर वर्मा, डा. पद्मा सिंह, उत्पला शुक्ला, डा. अनीता गोपेश, हरीश्चन्द्र, जीतेन्द्र मौर्य, यश मालवीय, जफर बख्त, असरार गांधी, फैज अंसारी आदि शामिल रहे। संचालन अंशु मालवीय ने किया।
साभार : दैनिक जागरण
1 comment:
शहरी गरीब संघर्ष मोर्चा, विज्ञान फाउण्डेशन, मुहिम एवं ह्यूमन राइटर्स ला नेटवर्क के द्वारा किया जानेवाला प्रयास सराहनीय है ... शुभकामनाएं।
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