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Monday, August 25, 2008

जनता कर रही है डी.एम. से जवाब-तलब




विमल कुमार सिंह/आजमगढ़-उत्तरप्रदेश
अबू सलेम और सिमी आतंकवादियों की जन्मस्थली का कलंक झेल रहे आजमगढ़ के लोगों ने अपने जिले में एक अनोखी पहल की शुरुआत की है। दिनांक 13 अगस्त, 2008 को आजमगढ़ के कुछ नागरिकों ने एक अभियान के तहत डी.एम. अर्थात जिलाधिकारी से सवाल पूछना शुरू किया है कि पिछले चार महीनों में उन्हें जनता की ओर से कुल कितने आवेदन प्राप्त हुए? इसी के साथ पूछा जा रहा है कि आवेदन किसकी ओर से और कब दिया गया? आवेदन में क्या मांग की गयी? आवेदन पर जांच करने की जिम्मेदारी किस अधिकारी को और कब दी गयी? अंत में जिलाधिकारी से प्रत्येक आवेदन पर की गयी कार्रवायी का संक्षिप्त विवरण मांगा गया है। इसी तरह जिलाधिकारी को प्राप्त शिकायती पत्रों के बारे में भी जानकारी मांगी जा रही है।

आजमगढ़ के कोने-कोने से लोग सूचना के अधिकार के तहत यही सूचना जिलाधिकारी से मांग रहे हैं। सूचना के अधिकार के क्षेत्र में काम कर रहे देश भर के कार्यकर्ताओं ने भी इस अभियान को अपना समर्थन दिया है। 29 अगस्त को मैगसैसे पुरस्कार विजेता एवं सूचना के अधिकार को प्रभावी बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले श्री अरविन्द केजरीवाल तथा वरिष्ठ पत्रकार श्री रामबहादुर राय सहित देश भर के कई सामाजिक कार्यकर्ता जिला मुख्यालय में जाकर जिलाधिकारी से वही सवाल पूछेंगे जो सवाल जिले की जनता जिलाधिकारी से इन दिनों पूछ रही है। इससे पहले 28 अगस्त को ये लोग जिले के मार्टिनगंज ब्लाक में जाकर वहां के कार्यकर्ताओं का हौसला बढ़ाएंगे।

डी.एम. से ही सवाल-जवाब क्यों, यह पूछे जाने पर अभियान की योजना बनाने वालों में से एक मार्टिनगंज ब्लाक के ही इंद्रसेन सिंह ने बताया कि जिले में नौकरशाही का बहुत खौफ है। सूचना मांगने वालों का परेशान करने की घटनाएं यहां आम हैं। खुद उन्हें गांव में आए पैसे का हिसाब मांगने के कारण ग्रामप्रधान और स्थानीय अधिकारियों के गुस्से का शिकार होना पड़ा। उन्हें एक फर्जी मुकद्दमें में फंसा कर दो महीने जेल के लिए जेल भेज दिया गया। ऐसी स्थिति में जरूरी था कि लोगों का डर दूर करने के लिए सीधे स्थानीय प्रशासन के मुखिया यानि डी.एम. से ही सवाल-जवाब किया जाए और वह भी सामूहिक रूप से। संगठित अभियान होने के कारण जहां नौकरशाही सवाल पूछने वालों को परेशान नहीं कर पाएगी, वहीं लोगों के बीच इस कानून को लेकर जागरूकता भी फैलेगी। इसका परिणाम होगा कि लोग आने वाले समय में बिना डरे इस कानून का इस्तेमाल कर सकेंगे। नौकरशाही को भी साफ संदेश जाएगा कि वे अब अपने उच्च अधिकारियों एवं राजनीतिक आकाओं के साथ-साथ जनता के प्रति भी जवाबदेह है।
(लेखक भारतीय पक्ष-मासिक पत्रिका के संपादक हैं)
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