इशिता रसेल
इंटरनेट की जड़ें ग्रामीण इलाकों में और गहराती जा रही हैं। दरअसल क्षेत्रीय भाषाओं में वेबसाइटों की बढ़ती संख्या लोगों को इंटरनेट से जोड़ने में मददगार साबित हो रही है।
खासतौर से युवा इन वेबसाइटों के प्रति बहुत आकर्षित हो रहे हैं। इंटरनेट रिसर्च फर्म 'जक्स्टकंसल्ट' द्वारा किए गए एक ताजा सर्वे के मुताबिक इंटरनेट का उपयोग करने वाला प्रत्येक सातवां व्यक्ति ग्रामीण इलाके से ताल्लुक रखता है।इस सर्वे के मुताबिक गांवों में शहरों की तुलना में कम उम्र के लोग इंटरनेट का उपयोग कर रहे हैं। ग्रामीण इलाकों में कुल इंटरनेट उपभोक्ताओं में से 61 फीसदी ऐसे लोग हैं जिनकी उम्र 25 साल से कम है जबकि शहरों के मामले में यह आंकड़ा 50 फीसदी है। ग्रामीण क्षेत्रों में 14 फीसदी किशोर इंटरनेट का उपयोग कर रहे हैं जबकि शहरी क्षेत्र में यह संख्या 8 फीसदी है। सर्वे के मुताबिक ग्रामीण इंटरनेट उपभोक्ताओं में 50 फीसदी की तादाद दक्षिण भारतीयों की है। इसमें यह तथ्य भी उभरकर आया है कि इंटरनेट उपयोग करने वाले 72 फीसदी लोग अपनी क्षेत्रीय भाषा को तरजीह देते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में ऐसे लोगों की संख्या 82 फीसदी है तो शहरों में 70 फीसदी लोग ऐसा चाहते हैं। हालांकि केवल 33 फीसदी ग्रामीण इंटरनेट उपभोक्ता ही क्षेत्रीय वेबसाइटों का उपयोग करते हैं।वैसे अभी तक कुल इंटरनेट उपभोक्ताओं की संख्या 3.5 करोड़ तक ही पहुंच पाई है इनमें से 30 करोड़ लोग शहरों में हैं जबकि केवल 5 करोड़ ग्रामीण लोग ही इंटरनेट से जुड़ पाए हैं। गांवों में लोग मुख्य रूप से साइबर कैफे के जरिये ही इंटरनेट तक पहुंच रहे हैं। शहरी उपभोक्ता शादी कराने के लिए मैट्रिमोनियल साइट्स की शरण लेते हैं तो ग्रामीण उपभोक्ताओं का भरोसा अब भी स्थानीय और नजदीकी लोगों में बना हुआ है। यह बात भी सामने आई है कि लोग अपने घरों की बजाय अपने ऑफिस से ही ऐसी साइट को सर्च करने को तरजीह देते हैं।
Wednesday, August 27, 2008
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1 comment:
अच्छा विश्लेषण!
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