मैला ढोने वाली ने किया रैंप पर कैटवाक
Jun 22, 09:22 pm
नई दिल्ली/जागरण
कभी सिर पर मैला ढोने वाली राजस्थान के दूरदराज के गांवों की कुछ महिलाएं अब संयुक्त राष्ट्र में आयोजित होने वाले एक सांस्कृतिक कार्यक्रम में फैशन शो माडलों के साथ रैंप पर जलवे बिखेरेंगी।
संयुक्त राष्ट्र में कार्यक्रम पेश करने से पहले 30 महिलाओं के इस समूह ने राष्ट्रीय राजधानी में शनिवार को राहुल देव, कैरोल गार्सिया, जेसी रंधावा, आर्यन वैद, तमारा मोस और सानिया शेख तथा अन्य माडलों के साथ रैंप पर चहलकदमी की। इस फैशन शो में विविध तरह की साडि़यों और कुर्तो का प्रदर्शन किया गया।
संयुक्त राष्ट्र द्वारा दो जुलाई को आयोजित किए जाने वाले साफ सफाई वर्ष आयोजन के उपलक्ष्य में कार्यक्रमों की श्रृंखला के लिए न्यूयार्क जाने से पहले राजस्थान की इन महिलाओं का उत्साह चरम पर है।
राजस्थान के अलवर जिले की प्रतिभागी सुशीला ने कहा कि मेरे लिए यह एक सपने के सच होने जैसा है। हमने इसके बारे में कभी नहीं सोचा था, लेकिन प्रशिक्षण मिलने और समाज के सम्मानित लोगों से संवाद होने के बाद हमारे अंदर काफी विश्वास पैदा हो गया है।
गैर सरकारी संगठन सुलभ इंटरनेशनल ने इन महिलाओं को सिर पर मैला ढोने की प्रथा से मुक्त कराया था और वह अब इनके पुनर्वास की कोशिश में लगा है।
इस संगठन के संस्थापक बिंदेश्वर पाठक ने कहा कि संगीत सभा, नाटक और हास्य जैसे कार्यक्रम आज के समय में लोगों के साथ संवाद करने का सबसे आसान माध्यम हैं। इस तरह के आयोजनों से दलितों की जीवनशैली में सुधार लाने में मदद मिलेगी।
Jun 22, 09:22 pm
नई दिल्ली/जागरण
कभी सिर पर मैला ढोने वाली राजस्थान के दूरदराज के गांवों की कुछ महिलाएं अब संयुक्त राष्ट्र में आयोजित होने वाले एक सांस्कृतिक कार्यक्रम में फैशन शो माडलों के साथ रैंप पर जलवे बिखेरेंगी।
संयुक्त राष्ट्र में कार्यक्रम पेश करने से पहले 30 महिलाओं के इस समूह ने राष्ट्रीय राजधानी में शनिवार को राहुल देव, कैरोल गार्सिया, जेसी रंधावा, आर्यन वैद, तमारा मोस और सानिया शेख तथा अन्य माडलों के साथ रैंप पर चहलकदमी की। इस फैशन शो में विविध तरह की साडि़यों और कुर्तो का प्रदर्शन किया गया।
संयुक्त राष्ट्र द्वारा दो जुलाई को आयोजित किए जाने वाले साफ सफाई वर्ष आयोजन के उपलक्ष्य में कार्यक्रमों की श्रृंखला के लिए न्यूयार्क जाने से पहले राजस्थान की इन महिलाओं का उत्साह चरम पर है।
राजस्थान के अलवर जिले की प्रतिभागी सुशीला ने कहा कि मेरे लिए यह एक सपने के सच होने जैसा है। हमने इसके बारे में कभी नहीं सोचा था, लेकिन प्रशिक्षण मिलने और समाज के सम्मानित लोगों से संवाद होने के बाद हमारे अंदर काफी विश्वास पैदा हो गया है।
गैर सरकारी संगठन सुलभ इंटरनेशनल ने इन महिलाओं को सिर पर मैला ढोने की प्रथा से मुक्त कराया था और वह अब इनके पुनर्वास की कोशिश में लगा है।
इस संगठन के संस्थापक बिंदेश्वर पाठक ने कहा कि संगीत सभा, नाटक और हास्य जैसे कार्यक्रम आज के समय में लोगों के साथ संवाद करने का सबसे आसान माध्यम हैं। इस तरह के आयोजनों से दलितों की जीवनशैली में सुधार लाने में मदद मिलेगी।
No comments:
Post a Comment