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Wednesday, January 23, 2008

विवेकानंद समूह बीमा योजना चढ़ी लापरवाही की भेंट
Jan 23, 02:43 am

इंदौर। राज्य शासन की महत्वाकांक्षी विवेकानंद समूह बीमा योजना इंदौर जिले में लालफीताशाही में उलझकर रह गई है। अफसरों के लापरवाही के दांव में केवल नौ गरीब परिवारों को ही सुरक्षा की छांव मिल सकी है। गरीबी रेखा (बीपीएल) के नीचे जीवनयापन करने वाले परिवारों को आर्थिक सुरक्षा का कवच देने का वादा शासन ने किया था, लेकिन इस वादे को इंदौर जिले में अफसरों ने पूरा नहीं होने दिया। विभागों की आपसी खींचतान में योजना का लाभ गरीब तबके को नहीं मिल सका। इसके पालन की जिम्मेदारी वाले विभाग केवल पत्र लिखने में ही उलझे हुए हैं। दस महीने में शहर में सिर्फ पांच लोगों के परिजन को मौत के बाद 50-50 हजार रुपये बीमा कंपनी ने दिए हैं, जबकि चार प्रकरणों में दो देपालपुर व एक-एक गौतमपुरा व सांवेर के हैं। इन आंकड़ों की जुबानी तो यही कहती है कि शहर में गरीबी रेखा के नीचे जीने वाले व्यक्तियों की मौत ही नहीं हुई, जबकि इंदौर जिले में गरीबी रेखा के नीचे 60 हजार से ज्यादा परिवार गुजर-बसर कर रहे हैं। दुर्घटनाओं में इस तबके के महीने में ही औसतन 10 लोग शिकार हो रहे हैं। राज्य शासन ने 28 मार्च 2007 से प्रदेश के सभी 48 जिलों के शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में विवेकानंद समूह बीमा योजना शुरू की है। योजना 18 से 65 वर्ष आयु समूह के गरीबी रेखा के नीचे जीवनयापन करने वाले लोगों के लिए लागू की गई है। इसमें इस वर्ग को बिना प्रीमियम फीस के दुर्घटना में बीमा कवरेज की सुरक्षा दी गई है। यह राशि रिलायंस जनरल इंश्योरेंस कंपनी द्वारा दी जाती है। इस योजना को जिले में साकार करने में सबसे अहम जिम्मेदारी शहरी क्षेत्र के लिए परियोजना अधिकारी, शहरी विकास अभिकरण और ग्रामीण क्षेत्र के लिए जनपद पंचायत के चारों मुख्य कार्यपालन अधिकारियों की है। स्वास्थ्य विभाग और पुलिस की भी जिम्मेदारी है। सबसे अहम पंचायत एवं सामाजिक न्याय विभाग के पास मॉनीटरिंग का जिम्मा है।
साभार : जागरण

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