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Friday, January 11, 2008

माडर्न जमाने में भी टोटके का बोलबाला

दिल्ली। हम इक्कीसवीं सदी के आठवें साल में आ चुके हैं, लेकिन कुछ पुरानी मान्यताएं और वर्जनाएं अभी भी हमारा पीछा नहीं छोड़ रही हैं। उल्टे ये नई पीढ़ी के लोगों को भी अपना शिकार बना रही हैं। इन्हीं में से एक है तरह-तरह के टोटके आजमाना।
हमने अक्सर अपने किसी प्रिय बल्लेबाज को मैदान पर कोई खास टोटका आजमाते देखा है। फिल्म स्टारों की ऐसी आदतें तो अक्सर मीडिया की सुर्खियां बन जाती हैं। यदि हम आस-पास नजर दौड़ाएं तो तमाम लोग मिल जाएंगे जिन्होंने टोटके के रूप में विचित्र आदतें अपना रखी हैं। इनमें युवाओं की तादाद भी अच्छी-खासी है। कोई पीली शर्ट शुभ मानता है तो कोई नौकरी पाने के लिए उपवास रखता है।
विशेषज्ञ भी मानते हैं कि आजकल युवाओं में अंधविश्वास या अजीबोगरीब मान्यताओं के प्रति रुझान बढ़ा है। वे इसे 'मैजिकल हीलिंग' कहते हैं। उनके अनुसार यह मनोवैज्ञानिक प्रक्रिया है। इसके तहत किसी अनजाने डर की खातिर मनोवांछित फल पाने के लिए कोई बेकार की आदत पाल ली जाती है। लोग विशेष रंग के कपड़े पहनकर या कोई विशेष चीज रखकर सफलता की राह की बाधाएं दूर करने की कोशिश करते हैं। लेकिन एक सीमा के बाद यह आदत समस्या बन सकती है।
कुछ पुरानी मान्यताओं व वर्जनाओं का प्रभाव हम आज भी इतनी शिद्दत से महसूस करते हैं जिसका प्रभाव हमारी रोजमर्रा की जिंदगी पर पड़ने लगता है। अब एचडीएफसी बैंक के एक्जीक्यूटिव यशदीप सक्सेना को ही लीजिए। सक्सेना वर्षो से रोज सुबह 30-45 मिनट पूजा करते आ रहे हैं। इन्हें लगता है जिस दिन पूजा नहीं करते, कुछ न कुछ बुरा हो जाता है। वहीं मोनिका लालचंदानी की बेटी हमेशा नीला लिबास ही पहनती हैं। उसे लगता है यह उसका लकी कलर है। इतना ही नहीं वह नीले रंग पर जितना भरोसा करती है, लाल से उतना ही डरती भी है। रोज-रोज नीली ड्रेस पहनकर आने पर बास, दोस्तों और सहकर्मियों के टोकने का भी उन पर असर नहीं पड़ता।
सर गंगा राम अस्पताल में मनोवैज्ञानिक डाक्टर रोमा कुमार बताती हैं कि आज के युवाओं ने ऐसी तमाम आदतें अपना ली हैं। इच्छा पूर्ति के लिए विशेष रंग के कपड़े पहनना, पुराने रिवाजों पर अंधविश्वास या टोटके आजमाना एक तरह की मनोवैज्ञानिक निर्भरता है। डाक्टर रोमा के मुताबिक परीक्षा में किसी विशेष कलम से ही लिखना, कोई विशेष ज्वेलरी या कंगन पहनना, किसी विशेष रंग से ज्यादा मोह या अनोखे तरीके से बैठना तो यही दिखाता है। लेकिन एक सीमा के बाद यह परेशानी भी बन सकता है।
saabhaar : dainik jagran Dec 31, 08:43 pm

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