'किताबी कीडे' बनकर पढ़ाई नहीं करेंगे यूपी के नौनिहाल
लखनऊ, 22 जनवरी (आईएएनएस)। जल्द ही उत्तर प्रदेश के नौनिहाल भी बरसों से चली आ रही पढ़ने-पढ़ाने के तरीकों से निजात पा सकेंगे। अब न तो उन्हें रट्टा लगाकर सवालों के जवाब देने पडेंग़े और न ही उनका ज्ञान केवल किताबों तक सीमित रहेगा। अब वे अपने ज्ञान को असीमित करेंगे जीवन के अनुभवों के आधार पर और उसे सहेजेगें अपने सामाजिक जीवन से जोड़कर। ऐसा संभव होगा प्रदेश में नई शिक्षा पध्दति से जुड़कर।
प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों से होने वाली इस शुरुआत में राष्ट्रीय शिक्षा अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) ने बड़ी भूमिका निभायी है। नए तरीके से पारंपरिक पठन पाठन शैली पर विराम लगेगा। इसमें न सिर्फ बच्चों का मानसिक विकास होगा, बल्कि शिक्षकों के अध्यापन के तरीकोंमें भी बदलाव लाए जाएंगे। यही नही परीक्षाओं में भी ऐसे सवाल पुछे जाएंगे, जिसमें दिमागी कसरत ज्यादा हो। नई पध्दति में बच्चे को अपनी मातृभाषा बोलने का पूरा अधिकार दिया जाएगा, साथ ही लचीली मूल्यांकन के तरीके पर ध्यान दिया जाएगा।
एनसीईआरटी की पाठयक्रम प्रमुख प्रोफेसर संतोष ने आईएएनएस से बातचीत में बताया प्राथमिक स्तर से ही बच्चों को समाज से जोड़कर पढाने की यह पध्दति वैसे तो देश भर में लागू हो चुकी है, लेकिन उत्तर प्रदेश इससे अछूता था। उन्होंने कहा कि इस बाबत नया पाठयक्रम तैयार किया जा रहा है। साथ ही शिक्षकों को प्रशिक्षित करने के लिए 21 पुस्तकें तैयार की गई हैं।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस
Wednesday, January 23, 2008
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