मेरा गाँव मेरा देश

Wednesday, January 23, 2008

स्थानीय लोगों तक आनुवंशिक संसाधनों की पहुंच की वकालत

नई दिल्ली, 22 जनवरी (आईएएनएस)। अगले महीने संयुक्त राष्ट्र द्वारा जिनेवा में जैव विविधता पर आयोजित होने वाले सम्मेलन में जब 190 देशों के प्रतिनिधि जुटेंगे तो स्थानीय लोगों को आनुवंशिक संसाधनों से लैस किए जाने का मसला जोर-शोर से उठेगा। लंदन स्थित एक संगठन ने यह मुद्दा उठाने का फैसला किया है।

लंदन स्थित इंटरनेशनल इंस्टीटयूट फॉर एनवायरमेंट एंड डेवलपमेंट (आईआईईडी) का मानना है कि स्थानीय लोगों को गरीबी से मुक्ति, जैव विविधता की रक्षा और तापमान परिर्वतन के दुष्प्रभावों से निपटने के लिए आनुवंशिक संसाधनों से लैस किए जाने की जरूरत है। सोमवार को इस संगठन द्वारा जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि यून कनवेंशन ऑन बायोलॉजिकल डायवर्सिटी (सीबीडी) के प्रावधानों को अमल में आए हुए 15 साल बीत चुके हैं, पर आनुवंशिक संसाधनों के निष्पक्ष वितरण और पहुंच के लिए आज तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।

जिनेवा में 21-25 फरवरी को सीबीडी के प्रावधानों पर खास चर्चा होने वाली है। आईआईईडी की रिपोर्ट पनामा, भारत, पेरू और चीन में संगठन द्वारा आयोजित कार्यशिविर के निष्कर्षों पर आधारित है। रिपोर्ट में कहा गया है कि वन्य और ग्रामीण इलाकों में मौजूद अरबों डॉलर के आनुवंशिक संसाधनों का व्यावसायिक दोहन करने की कोशिशें जारी हैं, पर इसके लिए स्थानीय लोगों को विश्वास में नहीं लिया जाता।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस

No comments: