जहां पूरे गांव में लगी हैं सीएफएल
कुरुक्षेत्र [विनोद चौधरी]। गांव एक, घर 217, बल्ब 815 और प्रतिदिन की बचत 1465 रुपये। कुरुक्षेत्र के एक छोटे से गांव यारी ने ऐसी राह पकड़ी है, अगर सभी इसी रास्ते पर चलें तो प्रदेश के लोगों को आने वाले दिनों में बिजली किल्लत से जूझना नहीं पड़ेगा। यारी गांव के लोगों ने 1465 रुपये प्रतिदिन, 43 हजार 967 रुपये प्रतिमाह और पांच लाख 34 हजार 936 रुपये प्रतिवर्ष के हिसाब से बचत करने वाले नुसखे को अपनाया है।
अक्षय ऊर्जा विभाग की मुख्य परियोजना अधिकारी एवं अतिरिक्त उपायुक्त सुमेधा कटारिया ने बताया कि यारी एक ऐसा गांव है, जिसमें सभी घरों में बिजली की कम खपत करने वाले सीएफएल [कंपेक्ट फ्लोरोसैंट लैंप] का उपयोग किया जा रहा है। उन्होंने बताया की यारी गांव के लोगों ने बिजली बचाओ, बिजली बढ़ाओ के महत्व को समझा है और अक्षय ऊर्जा विभाग के सहयोग से पूरे गांव को सीएफएल युक्त कर दिया गया है।
अक्षय ऊर्जा विभाग के परियोजना अधिकारी बलवान सिंह गोलन ने बताया कि पहले इस गांव में सौ वाट के 768, 60 वाट के 32, 40 वाट के 13 व अन्य टयूब लाइटें लगी हुई थी। उनके स्थान पर अब गांव में 800 सीएफएल लगाए गए हैं। पहले जहां गांव में लगे बल्ब छह घंटे में 475।74 यूनिट बिजली की खपत करते थे, वहीं उनके स्थान पर लगाई गई सीएफएल टयूब इतने समय में केवल 72 यूनिट बिजली ही खर्च करती हैं। गांव की कुल आबादी 1160 है, इस हिसाब से गांव का हर आदमी प्रतिदिन एक रुपये से भी ज्यादा की बचत में हिस्सेदारी कर रहा है। अगर सभी गांव बिजली की आवश्यकता को देखते हुए ज्यादा से ज्यादा सीएफएल का उपयोग करें तो बिजली की खपत को काफी कम किया जा सकता है।
Jun 23, 08:53 : याहू
Tuesday, June 24, 2008
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