खेतिहर महिलाओं को मिलेगी जमीन
नई दिल्ली [राजकेश्वर सिंह]। सरकारी कोशिशें मुकाम तक पहुंचीं तो आने वाले वर्षो में खेती से जुड़ी महिलाओं की स्थिति बेहतर हो सकती है। सरकार ऐसी महिलाओं को सीधे जमीन का आवंटन कर उन्हें स्वतंत्र रूप से उसका मालिकाना हक दिलाएगी। इसके लिए भूमि सुधार अभियान चलाया जाएगा। साथ ही फसल की बर्बादी या कर्ज से डूबे किसानों के खुदकुशी करने पर उनकी विधवाओं को राहत दिलाने के लिए एक नई योजना भी शुरू की जाएगी।
सरकार ने किसान परिवारों व खेती से जुड़ी महिलाओं की समस्याओं से निपटने के लिए दो तरह की रणनीति बनाई है। सरकार का मानना है कि जमीन का स्वतंत्र रूप से सीधे उनके नाम आवंटन होने से महिलाएं न सिर्फ आर्थिक रूप से सशक्त होंगी, बल्कि सामाजिक व राजनीतिक असमानता की चुनौतियों से भी निपटा जा सकेगा। इसी सोच के मद्देनजर 11वीं योजना में महिलाओं को जमीन उपलब्ध कराने की पहल की जानी है। इसके लिए पुनर्वास व गरीबी उन्मूलन जैसे कार्यक्रम तो चलाए ही जाएंगे। साथ ही भूमि सुधार अभियान के जरिए महिलाओं को सीधे तौर पर जमीन का आवंटन किया जाएगा, जिसकी मालकिन वे खुद होंगी। सरकारी जमीनों का यह आवंटन किसी एक महिला या फिर महिलाओं के स्वयं सहायता समूहों [एसएचजी] को भी किया जा सकेगा।
इसके अलावा कर्ज के बोझ से दबे या फिर फसलों के बर्बाद हो जाने से आत्महत्या करने वाले किसानों की विधवाओं की मदद के लिए महिला एवं बाल विकास मंत्रालय एक विशेष योजना शुरू करेगा। इसके पीछे उन राज्यों की पीड़ित महिलाओं को राहत पहुंचाने की मंशा है, जहां किसानों में आत्महत्या की घटनाएं अमूमन ज्यादा होती हैं। इतना ही नहीं, 11वीं योजना में गरीब महिलाओं को जमीन को खरीदने या फिर पंट्टे पर लेने के लिए कर्ज के रूप में भी मदद दी जाएगी। पैतृक संपत्तियों के उत्तराधिकार संबंधी मामलों में कानूनी मदद भी दिए जाने की योजना है। विस्थापन की दशा में महिलाओं के लिए संवेदनशील पुनर्वास नीति अख्तियार किया जाएगा। गरीब भूमिहीनों के अधिकारों को सुनिश्चित कराने के साथ ही आदिवासियों को वनों की भूमि का भी मालिकाना हक दिलाने पर जोर दिया जाएगा।
साभार : दैनिक जागरण, Jan ०१ 2008
Friday, January 11, 2008
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