मेरा गाँव मेरा देश

Thursday, December 6, 2007


ग्रामीण भारत के अंचलों में पसरी सभ्यता, संस्कृति, लोकाचार, रीती रिवाजों तथा परम्पराओं के लिए यह देश दुनिया भर में जाना जाता है, जिसके मोहपाश में बंधकर सैलानी हज़ारों मील की यात्रा कर भारत आ जाते हैं, ताकि वे भारत के ग्रामीण जीवन से रूबरू हो सकें... विशेषकर राजस्थान जैसे राज्यों को इसी कड़ी का हिसा कहा जा सकता है। आज हम भले ही दुनिया के साफ्टवेयर निर्माताओं मी भले ही अग्रणी हो गए हों, लेकिन कहीं न कहीं अपनी परम्पराओं से कटते जा रहे हैं.......संवेदनाएं...परम्पराएँ....कहें दबित होकर सिसकती हुयी सी जान पड़ती हैं...

''उज्जास'' ने एक ऐसी पहल करने का फैसला किया है, जिससे ग्रामीण परम्पराओं, रीती रिवाजों की एक बार फिर से चर्चा हो, वह भी आम स्तर पर। आप अपने परिवेश की कुछ बातें बताएं और कुछ मैं भी बताऊंगा, तो कुछ बातें आपने अध्ययन, भ्रमण एवं अनुभवों से जुटाई जा सकती हैं। तो आइये शुरुआत करते हैं एक ऐसी श्रंखला की जिससे उन मुरझाई हुई परंपराओं की शिराओं मे प्राणसन्चार कर अपनी आने वाली पीढ़ियों के लिये सन्जोकर रख दें।

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