कभी सोचा था कि एक दिन नयी दुनिया बसाएँगे
सितारे होंगे मुट्ठी में, चाँद पर घर बनायेंगे
कि अब एहसास के साए में ठहरी जिंदगानी है,
अभी क्या जाने खोना है और क्या जाने पायेंगे!
Friday, October 26, 2007
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ग्रामोन्मुख विकास को समर्पित
1 comment:
सुस्वागतम्।
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